वक़्त,
तू साथ नहीं है मेरे...
यह जो बद्ला बद्ला समां है
और, रूठे हुए हौंसले
सब हमराह है तेरे...
वक़्त,
तू खफ़ा हैं मुझसे...
जाने कब, किस मोड़ पे
मैने बदली थी राह|
मैं अब भी, उस राह पर
तेरे कदमों के निशाँ खोजता रहता हूँ|
वक़्त,
मुझे इतना यकीन है खुद पर,
कि, उम्मीद है मेरी हमसफ़र...
फिर चाहे हो तेरे हमराह कई
हमसफ़र इक्लोता काफी है राह पर|
अब, इस पल, इस सफ़र
बीते शिक्वे मिट चुके है|
सब कुछ खुशनुमा, और महताब है...
पश्मीनी रात की जगमगाती रौशनी में
उस तपती दोपेहरी का अब भी साथ है|
तू साथ नहीं है मेरे...
यह जो बद्ला बद्ला समां है
और, रूठे हुए हौंसले
सब हमराह है तेरे...
वक़्त,
तू खफ़ा हैं मुझसे...
जाने कब, किस मोड़ पे
मैने बदली थी राह|
मैं अब भी, उस राह पर
तेरे कदमों के निशाँ खोजता रहता हूँ|
वक़्त,
मुझे इतना यकीन है खुद पर,
कि, उम्मीद है मेरी हमसफ़र...
फिर चाहे हो तेरे हमराह कई
हमसफ़र इक्लोता काफी है राह पर|
अब, इस पल, इस सफ़र
बीते शिक्वे मिट चुके है|
सब कुछ खुशनुमा, और महताब है...
पश्मीनी रात की जगमगाती रौशनी में
उस तपती दोपेहरी का अब भी साथ है|
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